भूमिका
“खुल जायेंगी किताबें, जब भी हिसाब होगा” – यह केवल शब्दों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि एक गंभीर आत्मिक चेतावनी, एक विश्वास का बयान और एक प्रेमपूर्ण निमंत्रण है। यह भजन न केवल न्याय और दंड की बात करता है, बल्कि पश्चाताप, उद्धार और आशा का मार्ग भी दिखाता है।
यीशु मसीह को केवल प्रेम और करुणा का प्रतीक मानने वाले कई लोग यह भूल जाते हैं कि वही प्रभु एक दिन न्याय का अधिकारी भी बनेगा। यह गीत हमें उस दिन की याद दिलाता है — जब हर व्यक्ति को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा।
1. “खुल जायेंगी किताबें, जब भी हिसाब होगा” – अंतिम दिन की सच्चाई
प्रकाशितवाक्य 20:12 –
“और मैं ने मरे हुए लोगों को बड़े और छोटे दोनों को सिंहासन के सामने खड़े देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और एक और पुस्तक खोली गई जो जीवन की पुस्तक है: और मरे हुओं का न्याय उनके कामों के अनुसार उन पुस्तकों में लिखी बातों के अनुसार किया गया।”
यह पंक्ति हमारे जीवन की गंभीरता को दर्शाती है। हर विचार, हर कार्य, हर छुपा हुआ भाव — सबकुछ उस पुस्तक में दर्ज है। वह समय आएगा जब प्रभु उसे खोलेगा और हर आत्मा को न्याय देगा।
2. “इंसाफ़ का तराजू, यीशु के हाथ होगा” – न्यायी राजा की भूमिका
2 कुरिन्थियों 5:10 –
“क्योंकि हम सब को मसीह की न्याय की गद्दी के सामने प्रगट होना अवश्य है, ताकि हर एक जन अपने शरीर के द्वारा किए हुए कामों के अनुसार जो उसने किया हो, भला या बुरा, उसका प्रतिफल पाए।”
यीशु मसीह न्याय करेगा — वह किसी का पक्ष नहीं लेगा, रिश्वत नहीं लेगा, बाहरी दिखावे से प्रभावित नहीं होगा। वह हमारे दिल की सच्चाई, हमारे कर्मों का सही मूल्यांकन करेगा।
3. “जो भी तू कर रहा है, यीशु वो देखता है” – परम दृष्टा परमेश्वर
नीतिवचन 15:3 –
“यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वे बुरे और अच्छे दोनों को देखती हैं।”
कई बार हम सोचते हैं कि अगर कोई हमें देख नहीं रहा, तो हम जो कर रहे हैं, वह मायने नहीं रखता। लेकिन यह पंक्ति हमें बताती है कि हर कार्य, हर छिपा हुआ पाप या भलाई — यीशु देख रहा है। और वही एक दिन उसका हिसाब मांगेगा।
4. “हर पल का तुझको इंसां देना हिसाब होगा” – जीवन का हर क्षण मायने रखता है
मत्ती 12:36 –
“मैं तुम से कहता हूँ कि मनुष्य जो हर एक निकम्मा बात कहेगा, न्याय के दिन उसके विषय में उसे जवाब देना होगा।”
इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि हमारी ज़बान, सोच, व्यवहार और प्रतिक्रिया — सब कुछ प्रभु के तराजू में तौले जाएँगे। इसलिए हमें हर दिन, हर क्षण प्रभु के भय और ज्ञान में जीने की आवश्यकता है।
5. “आजा अभी भी मुड़कर, यीशु बुला रहा है” – अनुग्रह का निमंत्रण
2 पतरस 3:9 –
“प्रभु देर नहीं करता जैसा कुछ लोग देर समझते हैं, पर वह तुम्हारे विषय में धीरज करता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई नाश हो, वरन सबको मन फिराव का अवसर मिले।”
यह एक करुण पुकार है। यीशु बुला रहा है — न केवल डराने के लिए, बल्कि बचाने के लिए। वह कह रहा है, “अब भी लौट आओ, मैं तुम्हें स्वीकार कर लूंगा।”
6. “वर्ना ये याद कर ले, तेरा ही नाश होगा” – अनसुना करने का परिणाम
इब्रानियों 10:31 –
“जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।”
यह पंक्ति यह भी दर्शाती है कि यदि कोई प्रभु की बुलाहट को लगातार अनदेखा करता है, तो एक समय आएगा जब न्याय का दिन आएगा, और फिर पछतावे का कोई स्थान नहीं रहेगा।
7. “कदमों में उसके रो ले, तौबा गुनाह से कर ले” – पश्चाताप की शक्ति
1 यूहन्ना 1:9 –
“यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में सच्चा और धर्मी है।”
जो कोई यीशु के चरणों में गिरकर पश्चाताप करता है, उसे तुरंत क्षमा मिलती है। यह पंक्ति हमें आमंत्रित करती है कि हम आज ही, अभी ही अपने पापों के लिए रो लें और उससे क्षमा माँगें।
8. “फ़िदिया मसीह ने दिया, माफ़ी तू आज ले ले” – क्रूस की पूर्णता और उद्धार की मुहर
रोमियों 5:8 –
“परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे ऊपर इस प्रकार प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिए मरा।”
यह गीत हमें बार-बार याद दिलाता है कि उद्धार केवल मसीह में है — न कर्मों में, न रीति-रिवाज में, न धर्म में। मसीह ने कीमत चुका दी है, अब हमें केवल विश्वास और पश्चाताप के द्वारा वह क्षमा स्वीकार करनी है।
निष्कर्ष: यह गीत क्यों हर आत्मा के लिए जरूरी है
“खुल जायेंगी किताबें, जब भी हिसाब होगा…” यह एक आत्मा को झकझोर देता है। यह हमें सत्य का सामना कराता है कि:
- एक दिन न्याय होगा
- मसीह ही न्यायी राजा होगा
- हर कार्य का लेखा-जोखा होगा
- लेकिन आज भी मौका है लौटने का
- मसीह ने फ़िदिया दे दिया है, क्षमा तैयार है