Kuch Pal Lyrics

कुछ पल जो तेरे ,साथ बैठा हूँ
लगता है मुझे , मैं ज़िंदा हूँ
(x2)
अब भी मुझमे , साँस बाकी है (x2)
तेरे साये में मैं , खुश रहता हूँ
लगता है मुझे मैं ज़िंदा हूँ

कुछ अलग सी यह बात है
चाहे जो भी हालात है
इस दिल को सुकून है
येशु तू जो मेरे साथ है
क्या पता था मुझे तू मोहब्बत है (x2)
इस दिल को तोह बस तेरी हसरत है
लगता है मुझे मैं ज़िंदा हूँ

अब भी मुझमे , साँस बाकी है (x2)
तेरे साये में मैं , खुश रहता हूँ
लगता है मुझे मैं ज़िंदा हूँ

तेरे कंधे पे सर हो मेरा
और रो लूं युहीं चंद पल
मेरी नजरे तुझी पर टिकी
वक़्त थम जाये दिन जाये ढल
कोई तुझसा नहीं खूबसूरत है (x2)
इस दिल को तोह बस तेरी हसरत है
लगता है मुझे मैं ज़िंदा हूँ

कुछ पल जो तेरे ,साथ बैठा हूँ
लगता है मुझे , मैं ज़िंदा हूँ

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कुछ पल जो तेरे साथ बैठा हूँ – येशु के साथ वो अनमोल क्षण

“कुछ पल जो तेरे साथ बैठा हूँ, लगता है मुझे मैं ज़िंदा हूँ।”
ये शब्द केवल एक गीत की पंक्तियाँ नहीं हैं, ये एक आत्मा की पुकार है, जो अपने उद्धारकर्ता के साथ बिताए हर लम्हे को एक नई ज़िंदगी की तरह महसूस करती है।

येशु का साथ – सच्चा सुकून

जब हम येशु के चरणों में बैठते हैं, प्रार्थना करते हैं, या बस उनकी उपस्थिति का अनुभव करते हैं, तब हमारा अस्तित्व फिर से जीवित हो उठता है। जैसे:

अब भी मुझ में साँस बाकी है,
तेरे साए में मैं खुश रहता हूँ।

इन शब्दों में छुपा है वो सुकून जो दुनिया के किसी कोने से नहीं मिलता। येशु के साए में रहना, उनकी शांति में डूब जाना, वही असली ज़िंदगी है। जब हम येशु के पास होते हैं, तब हर डर मिट जाता है और हर आंसू एक उम्मीद में बदल जाता है।

मसीह का प्रेम – निःस्वार्थ और शाश्वत

इस दिल को सुकून है,
येशु तू जो मेरे साथ है।

येशु का साथ केवल एक भावनात्मक सहारा नहीं है, वह आत्मा का पुनर्जीवन है। उनका प्रेम स्थायी है — बिना किसी शर्त, बिना किसी अपेक्षा के। जब दुनिया हमसे मुँह मोड़ लेती है, तब येशु हमें गले लगा लेते हैं।

उनकी उपस्थिति हमें यह भरोसा देती है कि चाहे हालात कैसे भी हों, हम अकेले नहीं हैं।

जब आँसू इबादत बन जाएँ

तेरे कंधे पे सर हो मेरा,
और रो लूं यूँही चंद पल।

कभी-कभी हमारे आँसू भी एक प्रकार की प्रार्थना बन जाते हैं। जब हम खुद को टूटा हुआ महसूस करते हैं, तब येशु ही वो जगह बन जाते हैं जहाँ हम खुलकर रो सकते हैं। उनका कंधा वो आश्रय है, जहाँ हमारा दर्द भी इबादत बन जाता है।

हर लम्हा थम जाए

मेरी नज़रें तुझी पर टिकी,
वक़्त थम जाए, दिन जाए ढल।

जब हम येशु को निहारते हैं — उनके प्रेम, बलिदान और करुणा को — तो लगता है समय रुक गया है। उनकी उपस्थिति में कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई भय नहीं। बस एक शांति, एक नज़दीकी, और एक गहरा जुड़ाव।

येशु – सबसे सुंदर

कोई तुझसा नहीं खूबसूरत है,
इस दिल को तो बस तेरी हसरत है।

यह खूबसूरती केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मिक है। येशु का स्वरूप — करुणामयी, क्षमाशील, और प्रेम से भरा हुआ — सबसे सुंदर है। जब हमारा दिल उनसे जुड़ जाता है, तो हमें किसी और चीज़ की तलाश नहीं रहती।


निष्कर्ष: येशु के साथ बिताए “कुछ पल” – अनंत जीवन का स्वाद

“कुछ पल जो तेरे साथ बैठा हूँ” — यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की कहानी है जो येशु मसीह में विश्राम पाता है। उनका साथ कुछ क्षणों का नहीं, बल्कि अनंत जीवन का वादा है। पर हर वो लम्हा जो हम उनके साथ बिताते हैं, हमें फिर से ज़िंदा कर देता है — आत्मा से, सोच से, और हृदय से।