Teri Aaradhana Ho Lyrics तेरी आराधना हो

परिचय:

“Teri Aaradhana Ho Lyrics तेरी आराधना हो” एक ऐसा आत्मिक भजन है जो न केवल एक गीत है, बल्कि एक ऐसी प्रार्थना है जिसमें आराधक अपने जीवन के हर क्षण को प्रभु यीशु की स्तुति में समर्पित करना चाहता है। यह गीत हमें यह सिखाता है कि आराधना केवल एक समय, स्थान या घटना नहीं है – बल्कि एक जीवनशैली है।

इस भजन के माध्यम से, हम प्रभु से यह प्रार्थना करते हैं कि हमारी हर साँस, हर विचार, हर कार्य, और हर परिस्थिति में केवल उसी की आराधना हो। आइए इस भजन के बोलों का गहराई से विश्लेषण करें और जानें कि कैसे यह गीत हमारे आत्मिक जीवन को रूपांतरित कर सकता है


गीत के बोल

जहाँ मैं जाऊं , तेरी आराधना हो
मैं जब कुछ करूँ, तेरी आराधना हो
मेरे कामो से , तेरी आराधना हो
मेरी बातों में भी , तेरी आराधना हो
(x2)

तेरे करीब में बढ़ता चलूँ
तू ही जरिया है प्रभु
तेरे सिवा मैं कुछ ना चाहूँ
तू ही है मेरी आरज़ू

येशुआ…. तेरी आराधना हो (x2)

मेरी साँसों से , तेरी आराधना हो
मेरी रूह से , तेरी आराधना हो
ख़ोयालों में सिर्फ , तेरी आराधना हो
इरादों में बस , तेरी आराधना हो

तेरे करीब में बढ़ता चलूँ
तू ही जरिया है प्रभु
तेरे सिवा मैं कुछ ना चाहूँ
तू ही है मेरी आरज़ू

येशुआ…. तेरी आराधना हो

येशुआ…. तेरी आराधना हो
(x2)

यही है मेरी ख्वाइस
हर दम , हर पल , तेरी आराधना हो
मेरी ख़ामोशी में भी , मैं रुक भी जाऊं तो
जो भी मैं हूँ , तेरे ही कारण हूँ
मेरी देह से , इस जीवन से भी
तेरी आराधना हो , तेरी आराधना हो

निराशाओं में , तेरे आनंद से भर जाऊं
मुसीबत में भी स्तुति का हथियार उठाऊं
हर युद्ध में तेरा नाम लेकर मैं गाउँ
जैवंत हूँ , तेरी जय जयकार चिल्लाऊं…

येशुआ ….. तेरी आराधना हो ….
येशुआ ….. तेरी आराधना हो …

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1. आरंभिक भाव: “जहाँ मैं जाऊं, तेरी आराधना हो”

“जहाँ मैं जाऊं, तेरी आराधना हो
मैं जब कुछ करूँ, तेरी आराधना हो
मेरे कामों से, तेरी आराधना हो
मेरी बातों में भी, तेरी आराधना हो”

यह आरंभिक पद उस मसीही जीवन की व्याख्या करता है जो सम्पूर्णतः परमेश्वर की महिमा के लिए जिया जाता है। एक सच्चा मसीही केवल चर्च में नहीं, बल्कि अपने जीवन के हर क्षेत्र में प्रभु की आराधना करता है – चाहे वह घर हो, कार्यस्थल हो, स्कूल हो या कोई संघर्षपूर्ण परिस्थिति।

बाइबल सन्दर्भ:

“सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, या जो कुछ भी करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो।” (1 कुरिन्थियों 10:31)

यह पद हमें चुनौती देता है कि हम अपने शब्दों, कार्यों और निर्णयों में मसीह को प्रतिबिंबित करें।


2. निकटता की तृष्णा: “तेरे करीब में बढ़ता चलूं”

“तेरे करीब में बढ़ता चलूं
तू ही जरिया है प्रभु
तेरे सिवा मैं कुछ ना चाहूं
तू ही है मेरी आरज़ू”

यह पंक्तियाँ एक आराधक की गहराई से उत्पन्न हुई तृष्णा को दर्शाती हैं – प्रभु की निकटता की लालसा। यह गीत हमें केवल आराधना करने की नहीं, बल्कि आराधना में बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है।

“तू ही जरिया है प्रभु” – यह हमें यह सिखाता है कि जीवन की हर उपलब्धि, सफलता या सहायता का मुख्य स्रोत केवल यीशु है। और “तेरे सिवा मैं कुछ ना चाहूं” यह बताता है कि सच्ची आराधना में हमारी इच्छाएं प्रभु की इच्छाओं में विलीन हो जाती हैं।


3. आत्मा की गहराई से आराधना:

“मेरी साँसों से, तेरी आराधना हो
मेरी रूह से, तेरी आराधना हो
ख्यालों में सिर्फ, तेरी आराधना हो
इरादों में बस, तेरी आराधना हो”

यह पद प्रभु से एक ऐसी आराधना की मांग करता है जो केवल शारीरिक क्रियाओं तक सीमित न रहे, बल्कि आत्मा और सत्य में हो।

यीशु ने कहा:

“सच्चे भक्त आत्मा और सत्य से पिता की आराधना करेंगे, क्योंकि पिता ऐसे ही भक्तों को चाहता है।” (यूहन्ना 4:23)

हमारे विचार, हमारे मन की दिशा और हमारे इरादे यदि प्रभु की स्तुति से भरे हों, तो हमारा संपूर्ण अस्तित्व आराधना बन जाता है।


4. “येशुआ… तेरी आराधना हो” – गीत की आत्मा

यह संपूर्ण गीत का केंद्र है – एक पुकार, एक निवेदन, एक आत्मसमर्पण।
“येशुआ… तेरी आराधना हो” – यह बार-बार गाया जाता है ताकि हमारे मन, आत्मा और शरीर में आराधना बस जाए।

यह एक ऐसी विनती है जो न केवल गीत में, बल्कि जीवन में भी गूँजती रहनी चाहिए।


5. व्यक्तिगत ख्वाहिश: “यही है मेरी ख्वाहिश”

“यही है मेरी ख्वाहिश
हर दम, हर पल, तेरी आराधना हो
मेरी खामोशी में भी, मैं रुक भी जाऊं तो
जो भी मैं हूँ, तेरे ही कारण हूँ”

यह भाग अत्यंत व्यक्तिगत और आत्मिक है। यह बताता है कि एक मसीही की सबसे बड़ी चाह यही है कि उसका संपूर्ण अस्तित्व प्रभु की स्तुति करता रहे। भले वह बोल न पाए, लेकिन उसकी खामोशी भी एक आराधना हो।

“जो भी मैं हूँ, तेरे ही कारण हूँ” – यह वाक्य कृतज्ञता की चरम सीमा को दर्शाता है। यह मान्यता है कि मेरा अस्तित्व, मेरी पहचान, मेरी योग्यता – सब कुछ यीशु से ही है।


6. युद्ध, दुख और आराधना:

“निराशाओं में, तेरे आनंद से भर जाऊं
मुसीबत में भी स्तुति का हथियार उठाऊं
हर युद्ध में तेरा नाम लेकर मैं गाऊं
जैवंत हूँ, तेरी जय जयकार चिल्लाऊं”

यह पद आराधना की गहराई को दर्शाता है – आराधना केवल सुख में नहीं, दुख में भी हो। यहाँ हमें सीख मिलती है कि आराधना हमारे युद्धों का हथियार है।

बाइबल सन्दर्भ:

“स्तुति तुम्हारा कवच है” (2 इतिहास 20) – राजा यहोशापात ने जब युद्ध में स्तुति गाई, तो परमेश्वर ने शत्रुओं को स्वयं हरा दिया।

यह भाग हर मसीही को प्रेरित करता है कि संकट के समय में निराश न हो, बल्कि स्तुति और आराधना से अपने जीवन की दिशा प्रभु की ओर मोड़े।


7. यह गीत क्यों विशेष है?

“तेरी आराधना हो” गीत इसलिए अनूठा है क्योंकि:

  • यह संपूर्ण जीवन को आराधना बनाना सिखाता है।
  • यह हर परिस्थिति में परमेश्वर की स्तुति करना सिखाता है।
  • यह मनुष्य की कमज़ोरी को पहचानते हुए, प्रभु की महानता को ऊँचा उठाता है।
  • यह प्रभु के निकट बढ़ने की प्यास को व्यक्त करता है।

8. जीवन में इस गीत को उतारना:

इस भजन को केवल गाने की चीज़ न समझें। इसे जीने की शैली बना लें:

  • अपने हर निर्णय में प्रभु की महिमा के लिए सोचें।
  • बातचीत में ऐसे शब्द बोलें जो आराधना का प्रतीक बनें।
  • समय निकाल कर, ख़ामोशी में बैठकर प्रभु की उपस्थिति का अनुभव करें।
  • संघर्ष में भी स्तुति का रवैया अपनाएँ।

निष्कर्ष:

“तेरी आराधना हो” केवल एक गीत नहीं है, यह एक आत्मा की पुकार है। यह उस आराधक का जीवन दर्शन है जो चाहता है कि उसका हर क्षण प्रभु के चरणों में एक बलिदान की तरह अर्पित हो जाए।

यदि हम अपने जीवन को इस गीत के अनुसार ढाल सकें, तो हमारा जीवन एक जीवित मंदिर बन जाएगा – जिसमें हर श्वास, हर कार्य, हर इच्छा आराधना बन जाएगी।


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