परिचय
“पवित्र अति पवित्र” एक अत्यंत आत्मिक और आराधनापूर्ण गीत है जो हमें परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति की ओर खींचता है। यह गीत केवल शब्दों की रचना नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है।
गीत के बोल
पवित्र अति पवित्रस्थान में
ले चल प्रभु
मुझ को तू अपने लहू से
धो दे मेरे प्रभु
तेरे सामने झुकते हैं
सिजदा हम करते हैं
आत्मा और सच्चाई से
आराधना करते हैं
शुद्ध जल तू छिड़क दे
मन को मेरे बदल दे
प्रार्थना है हमारी
आत्मा से तू भर दे
तेरे सामने झुकते हैं…
जितना मैं तुझ को जानूं
उतना करीब पाऊं
जितना मैं तुझ को पाऊं
उतना ही आशीष पाऊं
तेरे सामने झुकते हैं…
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आत्मिक अर्थ
“मुझको तू अपने लहू से धो दे मेरे प्रभु”
यीशु मसीह के लहू से शुद्धि पाना ईसाई विश्वास की बुनियाद है। यह पंक्ति पश्चाताप और पवित्रता की अभिलाषा को प्रकट करती है।
“तेरे सामने झुकते हैं, सिजदा हम करते हैं”
यहाँ आराधक परमेश्वर के सामने सम्पूर्ण आत्मसमर्पण करता है। ‘सिजदा’ अरबी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ है पूर्ण नम्रता और श्रद्धा से झुकना।
“आत्मा और सच्चाई से आराधना करते हैं”
यह पंक्ति यूहन्ना 4:24 की पुष्टि करती है: “परमेश्वर आत्मा है, और जो उसे पूजते हैं, उन्हें आत्मा और सच्चाई से पूजना चाहिए।”
“शुद्ध जल तू छिड़क दे, मन को मेरे बदल दे”
यह यशायाह 1:18 और यहेजकेल 36:25 से मेल खाती है, जहाँ परमेश्वर मन को नया करने और आत्मा से भरने का वादा करता है।
“प्रार्थना है हमारी, आत्मा से तू भर दे”
यह पवित्र आत्मा की उपस्थिति की प्रार्थना है – कि हमारी प्रार्थनाएं केवल शब्द नहीं बल्कि आत्मा से भरी हुई हों।
गीत का संदेश
- पवित्रता की खोज:
मन, आत्मा और शरीर को शुद्ध करने की प्रार्थना। - आत्मसमर्पण और आराधना:
झुककर और सच्चे दिल से परमेश्वर को आराधना करने की भावना। - निकटता की लालसा:
प्रभु को जानने और उसकी निकटता पाने की तीव्र इच्छा।
बाइबिल सन्दर्भ
- भजन संहिता 24:3-4: “वह कौन है जो यहोवा के पर्वत पर चढ़ेगा? वह जो शुद्ध हाथ और निर्मल हृदय वाला हो।”
- यूहन्ना 4:23-24: “सच्चे भक्त आत्मा और सच्चाई से आराधना करेंगे।”
निष्कर्ष
एक ऐसा गीत है जो आत्मा को जगा देता है। यह हमें उस महान सत्य की ओर ले जाता है कि हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत प्रभु की उपस्थिति है। यह गीत हर आराधक के लिए एक गहन आत्मिक प्रार्थना बन सकता है, जो परमेश्वर के पवित्र स्थान में प्रवेश की तीव्र इच्छा रखता है।